100Rs. को 7 पर्स में इस तरह से डालो की 1 से 100 तक मै कितने भी रुपए मांगू, सीधा पर्स उठा के दे दो.
100Rs. को 7 पर्स में इस तरह से डालो की 1 से 100 तक मै कितने भी रुपए मांगू, सीधा पर्स उठा के दे दो.
जवाब-
पर्स नंबर 1- 1 रुपया
पर्स नंबर 2- 2 रुपया
पर्स नंबर 3- 4 रुपया
पर्स नंबर 4- 8 रुपया
पर्स नंबर 5- 16 रुपया
पर्स नंबर 6- 32 रुपया
पर्स नंबर 7- 37 रुपया
पर्स नंबर 1- 1 रुपया
पर्स नंबर 2- 2 रुपया
पर्स नंबर 3- 4 रुपया
पर्स नंबर 4- 8 रुपया
पर्स नंबर 5- 16 रुपया
पर्स नंबर 6- 32 रुपया
पर्स नंबर 7- 37 रुपया
यह पोस्ट कोपीराईट है-
उलझेंगे तो सुलझेंगे भी, उलझेंगे ही नहीं तो सुलझेंगे कैसे?
पर उलझे ही रहने में भी किसी किसी को सुख महसूस होता है और कुछ लोग इस डर से कि रहने दो, कौन उलझे, जिन्दगी भर / अन्त तक दुविधा में ही पड़े रहते हैं । अपनी अपनी प्रकृति है, कोऊ काहू में मगन, कोऊ काहू में मगन ! किन्तु कुछ लोग सिर्फ इसलिए भी उलझन में फँसे रहते हैं क्योंकि वे यथार्थ से पलायन करना चाहते हैं, यथार्थ को देखना तक नहीं चाहते । यथार्थ को जानना / समझना भी उन्हें अनावश्यक झमेला प्रतीत होता है ! सुविधापसंद ऐसे लोग भी अपने तरीके से सुखी / दुःखी होने के लिए मज़बूर / स्वतंत्र तो होते ही हैं !
ज्यादातर लोगों को मुश्किल लगने वाले दिमागी सवाल हल करने में मजा आता है। कुछ सवाल तो ऐसे होते हैं जिसे सुनने के बाद लोग हार मान जाते हैं कि उनसे नही होगा तो कुछ लोग उसमे पर्सनल इंटरेस्ट लेते हैं और उस सवाल को हल कर के हीं मानते हैं। चलिए आज जानते हैं कुछ ऐसे हीं सवाल जिसे हल करना सभी के बस की बात नही होती है।
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