*दिमाग है तो बताओ -3 सवाल, 1जवाब*
दिमाग है तो बताओ
3 सवाल, 1जवाब
1 बाबा 1 बच्ची और 1 मुर्गी ले कर जा
रहा था
रास्ते मे उन्हे 1 आदमी मिला उसने बाबा
से 3 सवाल पूछे
1""बाबा आपकी उमर कितनी है
2""इस बच्ची का आप से कया रिस्ता
है
3"" इस मुर्गी की कीमत कितनी है
बाबा ने सिर्फ 1 word बोला और
आदमी को 3 सवालो का जवाब मिल
गया
तो बताओ बाबा ने वो कौन सा word
बोला था
कृपया उत्तर दें
3 सवाल, 1जवाब
1 बाबा 1 बच्ची और 1 मुर्गी ले कर जा
रहा था
रास्ते मे उन्हे 1 आदमी मिला उसने बाबा
से 3 सवाल पूछे
1""बाबा आपकी उमर कितनी है
2""इस बच्ची का आप से कया रिस्ता
है
3"" इस मुर्गी की कीमत कितनी है
बाबा ने सिर्फ 1 word बोला और
आदमी को 3 सवालो का जवाब मिल
गया
तो बताओ बाबा ने वो कौन सा word
बोला था
कृपया उत्तर दें
जवाब - नवासी (89)
यह पोस्ट कोपीराईट है-
उलझेंगे तो सुलझेंगे भी, उलझेंगे ही नहीं तो सुलझेंगे कैसे?
पर उलझे ही रहने में भी किसी किसी को सुख महसूस होता है और कुछ लोग इस डर से कि रहने दो, कौन उलझे, जिन्दगी भर / अन्त तक दुविधा में ही पड़े रहते हैं । अपनी अपनी प्रकृति है, कोऊ काहू में मगन, कोऊ काहू में मगन ! किन्तु कुछ लोग सिर्फ इसलिए भी उलझन में फँसे रहते हैं क्योंकि वे यथार्थ से पलायन करना चाहते हैं, यथार्थ को देखना तक नहीं चाहते । यथार्थ को जानना / समझना भी उन्हें अनावश्यक झमेला प्रतीत होता है ! सुविधापसंद ऐसे लोग भी अपने तरीके से सुखी / दुःखी होने के लिए मज़बूर / स्वतंत्र तो होते ही हैं !
ज्यादातर लोगों को मुश्किल लगने वाले दिमागी सवाल हल करने में मजा आता है। कुछ सवाल तो ऐसे होते हैं जिसे सुनने के बाद लोग हार मान जाते हैं कि उनसे नही होगा तो कुछ लोग उसमे पर्सनल इंटरेस्ट लेते हैं और उस सवाल को हल कर के हीं मानते हैं। चलिए आज जानते हैं कुछ ऐसे हीं सवाल जिसे हल करना सभी के बस की बात नही होती है।
यह पोस्ट कोपीराईट है-
उलझेंगे तो सुलझेंगे भी, उलझेंगे ही नहीं तो सुलझेंगे कैसे?
पर उलझे ही रहने में भी किसी किसी को सुख महसूस होता है और कुछ लोग इस डर से कि रहने दो, कौन उलझे, जिन्दगी भर / अन्त तक दुविधा में ही पड़े रहते हैं । अपनी अपनी प्रकृति है, कोऊ काहू में मगन, कोऊ काहू में मगन ! किन्तु कुछ लोग सिर्फ इसलिए भी उलझन में फँसे रहते हैं क्योंकि वे यथार्थ से पलायन करना चाहते हैं, यथार्थ को देखना तक नहीं चाहते । यथार्थ को जानना / समझना भी उन्हें अनावश्यक झमेला प्रतीत होता है ! सुविधापसंद ऐसे लोग भी अपने तरीके से सुखी / दुःखी होने के लिए मज़बूर / स्वतंत्र तो होते ही हैं !
ज्यादातर लोगों को मुश्किल लगने वाले दिमागी सवाल हल करने में मजा आता है। कुछ सवाल तो ऐसे होते हैं जिसे सुनने के बाद लोग हार मान जाते हैं कि उनसे नही होगा तो कुछ लोग उसमे पर्सनल इंटरेस्ट लेते हैं और उस सवाल को हल कर के हीं मानते हैं। चलिए आज जानते हैं कुछ ऐसे हीं सवाल जिसे हल करना सभी के बस की बात नही होती है।
एक दिल के टूटने पर उसकी भावनाओं का अनुपात 1:2:3:4 है। दिल की कीमत भावनाओ के वर्ग के अनुक्रमानुपाति है दिल टूटने पर 700 का नुकसान हुआ तो दिल की मूल कीमत क्या थी?
ReplyDeletea-10,000 b-5000
c-1000 d-900
1000
Delete